बुधवार, 30 जून 2010

हिमाद्रि तुंग शृंग से - जयशंकर प्रसाद

हिमाद्रि तुंग शृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती
स्वयं प्रभा समुज्ज्वला स्वतंत्रता पुकारती
'अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़- प्रतिज्ञ सोच लो,
प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो!'

असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ विकीर्ण दिव्य दाह-सी
सपूत मातृभूमि के- रुको न शूर साहसी!
अराति सैन्य सिंधु में, सुवाड़वाग्नि से जलो,
प्रवीर हो जयी बनो - बढ़े चलो, बढ़े चलो!  - जयशंकर प्रसाद


दूरदर्शन धारावाहिक "चाणक्य" मे संगीतबद्ध यह गीत जरूर सुनें :


2 टिप्‍पणियां:

  1. आभार पढ़वाने और सुनवाने का.

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  2. जय शंकर प्रसाद की इस काल जयी रचना का सस्वर वाचन प्रस्तुत करने के लिये आभार!,धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं

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